मैं तुझे इस कदर अपना बनाना चाहती हूँ।तुझे ख्वाबों में नहीं हकीकत में पाना चाहती हूँ।
तुमको ख्वाबों में नहीं.. हकीकत में अपना बनाना चहती हूँ..
हाथों की लकीर में नहीं.. माथे की तक़दीर में सजाना चाहती हूं।
मैं तुझे इस कदर अपना बनाना चाहती हूँ। हाथों मे कलावा नहीं,तेरे नाम की चुड़ियों की खनक बनना चाहती हूँ।
मैं तुझे इस कदर अपना बनना चाहती हूँ। गले में काला धागा नहीं ,तेरे नाम का मंगलसुत्र पहनना चाहती हूँ।
मैं तुझे इस कदर अपना बनाना चाहती हूँ। माथे पे टीका नहीं, मांग मे तेरे नाम का सिंदूर लगाना चाहती हूँ।
मैं तुझे इस कदर अपना बनाना चाहती हूँ। पैरों मे बंधा काला धागा नहीं,पायलों की झन्कार के साथ पैरों मे तेरे नाम का बिछुआ पहनना चाहती हूँ। मैं तुझे इस कदर अपना बनाना चाहती हूँ।
मैं तुझे ख्वाबों में नहीं हकीकत में पाना चाहती हूँ। मैं तुझे अपना बनाना चाहती हूँ।
मैं 2 मिनट वाली मैगी नहीं,तेरे लिए खाना पकाना चाहती हूँ। तेरे दफ्तर जाते ही तेरे लिए टिफिन पैक करना चाहती हूँ। हर शाम तेरा ,चाय पे इंतजार करना चाहती हूँ। मैं तुझे इस कदर अपना बनाना चाहती हूँ।
मैं सिर्फ तेरी नहीं ,तेरी माँ की छोटी बहू बनना चाहती हूँ।
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