वही सूरज चमकेगा आसमां मे हर रोज की तरहा वैसी ही अठखेलियां करेगा चाँद अपनी चाँदनी के संग देख तारे भी शर्मा के टिमटिमाया करेगें हर रोज़ की तरह। वेसे ही हवाओं में खुशबू बहेगी हर रोज की तरहा ।
वेसा ही चिड़ियों का डेरा होगा गुन्जन का गुनगुना होगा। फूलों का वेसे ही खिलना होगा भवरों का वेसे ही उन पर गुन्जन करना होगा।
कुदरत वेसी ही रहेगी हर रोज की तरहा बस जो बदलेगा वो हमारा वक़्त नया साल होगा। खुशियाँ लिये वो हमारे आँगन मे होगा।
खुशियाँ तामाम हो हर एक के दामन मे। चल भुला देते हैं हर गम पुराने वो जो गुजर गये कल मे।
आने वाला नव वर्ष मे होगी खुशियाँ हर के दामन में इस वर्ष मे कुछ नया दोर लिखना होगा। जो बीत गया उसे भी याद रखना होगा। '' 2021''
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